पटना:- आज राष्ट्रीय जनता दल किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 गोपाल कृष्ण चंदन जी की अध्यक्षता में राजद प्रदेश कार्यालय, पटना से राजभवन मार्च किया गया। राजद के माननीय प्रदेश अध्यक्ष श्री जगदानन्द सिंह जी के द्वारा राजभवन मार्च को हरी झंडा दिखाकर रवाना किया गया। राजभवन मार्च के माध्यम से किसानों के 14 सूत्री मांगों को महामहिम राज्यपाल के समक्ष रखा गया जो निम्नलिखित है:-
1. धान, गेहूं की तरह बिहार में मक्का खरीद के लिए खरीद केन्द्र शुरू किया जाना चाहिए जिससे कोशी एंव सीमांचल के क्षेत्र में किसानों का आमदनी बढ़ेगा एवं पलायन रूकेगा।
2. डैच् का आकलन की वर्तमान प्रणाली में व्यापक गड़बड़ी है जैसे पंजाब में 900 रू0 प्रति क्विंटल लागत एवं महाराष्ट्र मे सबसे ज्यादा 3000 रू0 प्रति क्विंटल का आकलन राज्य सरकारों के द्वारा किया गया। जिसका औरा के आधार पर केन्द्रीय डैच् की घोटाला की जाती है जिससे बिहार जैसें पिछड़े राज्यों की व्यापक हानि हो रहा है।
अतः राज्य स्तर पर डैच् का निर्धारण कर अतिरिक्त बोनस देने के लिए छूट देना पडे़गा।
3. कृषि क्षेत्र मे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा लगातार देश के भीतर अतिक्रमण किया जा रहा है। खास तौर से बीज और रासायन उद्योग में हानिकारक तकनीकि को केन्द्र सरकार के सहयोग से बेचने का कार्य हो रहा है। जिसका प्रतिरोध होना चाहिए।
4. बिहार जैसे राज्य के कई हिस्सों में परंपरागत नहरों एवं सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से बिजली की पर्याप्त व्यवस्था ट्युबवेल के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्धता के आधार पर कम से कम 20 घण्टे बिजली दिया जाना चाहिए। बिहार जैसे राज्य में केन्द्रीय बैंको में ऋण देने मे भेदभाव के चलते किसानों को निजी ब्याज वाले कारोबारियों के हाथ शोषित होना पड़ता है। इसे सुदृढ़ करने के लिए सरकारी बैंको को नियुक्त किया जाना चाहिए। जिससे आसानी से किसानों का ऋण उपलब्ध होना चाहिए।
5. बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में पशुपालन को लाभकारी बनाने के लिए व्यापक पैमाने पर खरीद पोषक चारा के साथ, दुग्ध प्रोसेसिंग युनिटों का जाल बिछाना पड़ेगा। जिससे राष्ट्रीय स्तर पर किसानांे को लाभ मिल सकें।
6. देश के प्रत्येक राज्य में एक समान न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति लागू हो। छतीसगढ़ की तरह बिहार में धान की खरीदगी 3100 रूपये प्रति क्विंटल पर हो। साथ ही एफसीआई के द्वारा किए जा रहे गेहूं समेत अन्य अनाज का अधिग्रहण भाजपा शासित राज्यों के समानान्तर बिहार में भी हो।
7. बिहार के सभी जिलों में औसतन कम से कम दो चीनी मीलों की स्थापना। बिहार के हर एक प्रखण्ड में औसतन कम से कम एक प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना।
8. एम. एस. पी. स्वामीनाथन कमिटी के अनुशंसा के तहत कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत खर्चे में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर तय हों। एम. एस. पी. स्वामीनाथन कमिटी के सभी सुक्षावों को लागू किया जाय तथा कई फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत खर्च में 75 प्रतिशत की मुनाफा जोड़कर तय हो।
9. बिहार में कृषि मंडी कानून लागू हो और बिहार के हर एक प्रखं डमें एक कृषि मंडी की स्थापना हो ताकि किसानों को मार्केट की सुविधा मिल सकें।
10. बिहार के किसानों के लिए कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, थ्रेसर, पंम्पींग सेट व अन्य सिंचाई उपरकरण को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाय और इनपर लगने वाले 12 प्रतिशत टैक्स को घटाकर 0 प्रतिशत किया जाय। जुलाई 2017 के पहले यूपीए सरकार द्वारा निर्घारित कृषि उपकरणों पर टैक्स दर (शून्य) 0 प्रतिशत था। डीजल को भी जीएसटी टैक्स से बाहर किया जाय।
11. बिहार राज्य में भी तमिलनाडु या अन्य राज्य की तरह कृषि पर अलग से बजट तय हो।
12. देश में किसानों के लिए पांच आयोग बनाये गए हैं उनकीे सभी सिफारिशें को लागू किया जाय।
13. गन्ने पर्ची की सुस्त रफ्तार को गतिशील करने के साथ-साथ इसे एम. एस. पी. के दायरे में लाया जाय।
14. केन्द्र सरकार द्वारा 18 जुलाई, 2022 एम. एस. पी. को कानूनी दर्जा के आलोक में बनाये गये कमिटी से अविलंब रिपोर्ट दाखिला करवाते हुए एम.एस. पी. को कानूनी दर्जा दिया जाय।
राजभवन मार्च में विधायक श्री कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव, श्री अनिरूद्ध प्रसाद यादव, पूर्व विधायक श्री सीताराम यादव, श्री रविन्द्र सिंह, श्री लक्ष्मी नारायण प्रसाद, प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रवक्ता रितु रंजन पाठक, गब्बर यादव, कृष्ण कुमार सिंह, पुलिस राय, भोला सिंह, राकेश कुमार यादव, सूर्यदेव यादव, अर्जुन यादव, रामजी यादव, नगीना यादव, अजीत तिवारी, राकेश रमण चैबे सहित किसान प्रकोष्ठ के सभी प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, प्रखंड अध्यक्ष, पंचायत अध्यक्ष के साथ हजारों की संख्या में आक्रोशित किसानों ने राजभवन मार्च में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
प्रकोष्ठ के प्रवक्ता रितु रंजन पाठक ने बताया कि यह आन्दोलन का प्रथम कड़ी है। इसके बाद सभी जिला में एक दिवसीय धरना के साथ-साथ निरंतर आन्दोलन चलता रहेगा।