पटना सिटी प्राचीन पाटलिपुत्र अर्थात पटना सिटी को आप मन्दिरों का शहर भी कह सकते हैं। पटना सिटी में वैष्णव सम्प्रदाय के मंदिर सहित अनेकों सम्प्रदाय के मंदिर है। इनमें कचौड़ी स्थित छोटी मंदिर, ठाकुर मदन मोहन गोपाल (छोटी बहू )का मंदिर एवं ठाकुर बाबू का मंदिर है। इसके साथ ही इसी कड़ी में मच्छहरट्टा स्थित श्री गोपी नाथ जी,गोविंद बाग़ और राधा कृष्ण मंदिर हैं। वैसे हीरानंद शाह गली स्थित बड़ी मंदिर और मालवीय बालो जी का मंदिर (जिसके ट्रस्टी भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद जी भी थें )एवं छोटी मंदिर इत्यादि प्रमुख हैं।
एक समय में इन सभी मंदिरों में सावन माह से जन्माष्टमी तक- झूलन व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव तक- काफी धूमधाम रौनक और रात्रि तक चहलपहल रहती थी। लेकिन अब इनमें से अधिकांश मंदिरों की संपत्तियों पर अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा कर उन्हें बेच दिया गया है और मंदिरों को भी तहस नहस कर दिया गया है।
इन सारे क्रियाकलापों में पुजारियों और सेवायतों की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसके लिए बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद की उदासीनता के साथ-साथ विभिन्न सम्प्रदाय के अनुयायियों का भी कम दोष नहीं है।
हाल तक वैष्णव सम्प्रदाय के मंदिरों की सुरक्षा और संरक्षण में स्व.दीनानाथ जेटली, डाक्टर त्रिलोकी प्रसाद गोलवारा, शशि शेखर रस्तोगी, रतनदीप राय, अनिल मेहरोत्रा और रीता रस्तोगी व राणा साधना का योगदान सराहनीय व अग्रणी रहा है।
पटना जिला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन से अनुरोध करते हुए मांग किया है कि पटना सिटी के प्रबुद्ध नागरिकों के साथ अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमिटी का गठन कर पटना सिटी की प्राचीन मंदिरों की समीक्षा कर इसकी सुरक्षा व संरक्षण का कदम उठाया जाए।