पटना :- राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बिहार सरकार पर दोहरे चरित्र का आरोप लगाते हुए कहा है कि आरक्षण और नौजवानों को नौकरी देने के सवाल पर उसका नियत साफ नहीं है। वह दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और महिलाओं को न तो नौकरी देना चाहती है और न आरक्षण। भाजपा – जदयू सरकार का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड तो कोई न कोई अड़चन पैदा कर नौकरी की प्रक्रिया को लटकाए रखने का हीं है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा 65़10 प्रतिशत दिए गए आरक्षण के खिलाफ पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। परिणाम स्वरूप शिक्षकों सहित अन्य विभागों में अभी होने जा रही बहाली में दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों, सामान्य वर्ग के गरीब नौजवानों और महिलाओं को बढ़ाए गए आरक्षण कोटे का लाभ नहीं मिल पाएगा। अथवा आरक्षण पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर होने वाली बहाली को भी लटका सकती है। भाजपा-़जदयू सरकार के पुराने चरित्र को देखते हुए बहाली को लटका कर रखने की हीं संभावना ज्यादा है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि यदि सही अर्थों में आरक्षण और बहाली दोनों के प्रति सरकार की मंशा साफ है तो वह केन्द्र सरकार पर दबाव बना कर बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण को संविधान के नौवीं अनुसूची में शामिल करवाए। जिससे बढ़ाया गया आरक्षण न्यायिक प्रक्रिया से मुक्त हो जाएगा। और बढ़ाए गए आरक्षण का लाभ देते हुए शिक्षक सहित अन्य विभागों में बहाली का काम ससमय पुरा हो जाएगा।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्र की सरकार जदयू के सहारे और समर्थन से हीं चल रही है। इसलिए आरक्षण और बहाली दोनों के प्रति यदि जदयू की नियत साफ है तो बगैर देर किए उसे अविलम्ब इस दिशा में पहल करनी चाहिए। अन्यथा यह माना जाएगा कि जदयू न तो आरक्षण का दायरा बढ़ाना चाहती है और न बेरोजगार युवाओं को नौकरी देना चाहती है।