मां गंगा की गोद भराई मलबों से -जिला सुधार समिति

arun raj
arun raj
6 Min Read


पटना सिटी :- पटना जिला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने राष्ट्रीय हरित विकास प्राधिकरण के न्यायाधीश के साथ-साथ पटना उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय ,नई दिल्ली के मुख्य न्यायाधीश को आवेदन स्पीड पोस्ट के साथ साथ ई मेल कर तख्त हरिमंदिर जी व बाल लीला गुरूद्वारों हो रहे निर्माण कार्य के मलबों से गंगा के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों मिट्टी भराई पर स्वत संज्ञान लेकर रोक लगाने की मांग की है।
प्राचीन शहर पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना सिटी) गंगा के किनारे बसा है और एक समय में यह मौर्य राजवंश की राजधानी भी रहा है। यहीं से चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने पूरी दुनिया को बौद्ध धर्म से परिचित करवाया। गंगा किनारे पटना सिटी में बने घाटों की सुन्दरता अपनी कलात्मक भव्यता इसकी प्राचीनता को भी दर्शाता है।
बीते सालों में जब गंगा का जलस्तर बढ़ता था तो नौजवानों एवं शहरी लोगों में इसे देखने की आतुरता रहती थी। जो शहरी 50 के ऊपर की उम्र के हैं, वे इन घाटों पर होने वाली गंगा के बहाव का वर्णन लोगों से अपने संस्मरणों के आधार पर करने से नहीं थकते। वे युवाओं को बताते हैं कि किस प्रकार वे सपरिवार गंगा के इन पुराने घाटों पर स्नान किया करते थे।
गंगा के इन बाढ़ क्षेत्रों में सरकारी सहयोग से अवैध निर्माण एवं गंगा एक्सप्रेस परियोजना के त्रुटिपूर्ण निर्माण से गंगा का पानी यहां पूरी तरह सूख गया है। जहां सालों भर पानी रहा करता था, वहां अब सिर्फ बाढ़ के समय ही गंगा के दर्शन होते हैं।
राकेश कपूर ने बयान जारीकर कहा कि बिहार सरकार ने इतिहासप और भूगोल का विस्तृत अध्ययन किये बगैर ही गुरूद्वारा को जमीन देकर गुरूद्वारा निर्माण की इजाजत देकर पर्यावरण के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया है। दुर्भाग्यपूर्ण यह भी कि सरकार ने खुद पर्यटन भवन भी बना डाला।सरकारी अवैध निर्माण का अनुसरण कर नागरिकों ने भी अवैध निर्माण कर डाला है।
उन्होंने बताया कि गुरूद्वारा ने अलग से लंगर हाॅल, स्कूल, यात्री निवास व अन्य के निर्माण की योजना के तहत गंगा के बाढ़ क्षेत्र में मिट्टी भराई कर चिमनी घाट (कंगन घाट) से झाऊगंज घाट तक के क्षेत्र का विस्तार कर डाला है। अब चिमनी घाट से दाहिने पूरब मदरसा की ओर गंगा में गुरुद्वारों द्वारा मिट्टी व पुरानी इमारत के मलबों से अनवरत भराई की जा रही है।
गुरूगोबिन्द सिंह महाराज के अवतरण दिवस के अवसर पर गंगा के किनारे यात्रियों के ठहराने लिए टेंट सिटी का निर्माण कर उन्हें ठहराया जाता है। उनके लिए और अन्यों के लिए लंगर भी चलता है। टेंट सिटी शौचालय युक्त होती है। लंगर का जूठन व शौचालय का मल-मूत्र गंगा की मिट्टी के साथ अन्ततोगत्वा जल में ही समाहित होता है जो जल को प्रदूषित कर आस्था को ठेस पहुंचाता है।
राकेश कपूर ने स्मरण कराते हुए कहा कि पूरब से ही गंगा का जलस्तर बढ़ने पर पटना सिटी की घाटों पर गंगा पहुंचती है। इस प्रकार सुनियोजित योजनाबद्ध तरीकों से गंगा के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में गंगा के आगमन को अवरुद्ध किया जा रहा है। यह बेहद चिंताजनक है। इसके अतिरिक्त वर्तमान समय में गंगा के बाढ़ क्षेत्र में कई स्थाई निर्माण तेजी के साथ किया जा रहा है। इस ओर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किये जाने के बाद भी यह जारी है।
राकेश कपूर ने बिहार सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पटना सिटी के गाय घाट से पश्चिम जितने भी घाटों का सौन्दर्यीकरण में सरकार ने करोड़ो करोड़ रुपये खर्च कर दिए लेकिन घाट किनारे गंगा का जल नदारद तो यह कैसा विकास है।इन पैसो से अगर गंगा की रुठी धारा को वापस लाने का प्रयास सरकार करती तो सोने पर सुहागा होता।
उन्होंने न्यायाधीशों को भेजे गए आवेदन मे कहा है कि पटना जिला सुधार समिति, पटना सिटी की एक अनिबंधित सामाजिक संस्था है जो जनहित के मुद्दों की ओर प्रशासन व सरकार का ध्यान आकृष्ट सफलतापूर्वक निर्वाहन कर सफल भी हुई है। संस्था कोषविहीन रहते हुए पटना उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार बीते वर्षों मे आपके राष्ट्रीय हरित विकास प्राधिकरण, कोलकता स्थित मुख्यालय भी आ चुका हूं। लेकिन धनाभाव के कारण आपकी न्यायिक प्रक्रिया निभाने में असमर्थ रहा। इस संस्था को गंगा के प्रदूषण की रक्षा के लिए सिर्फ न्यायपालिका से ही उम्मीद बनती है। न्यायपालिका को स्वयं ही संज्ञान ले इसपर जांच कर करवाई करनी चाहिए।
गंगा माँ की गोद में सरकारी सहयोग से अवैध निर्माण के विनाश लीला का दृश्य मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं अपनी आँखों से पिछले वर्षों में देखा है। प्रकृति से खिलवाड़ करने का नतीजा भी देखने को मिल रहा है। क्या उन्हें यह नहीं पता कि कितना बड़ा अक्षम्य अपराध उनके हाथों हुआ है! पर्यावरण के नुकसान का खामियाज़ा हमारी आने वाली पीढ़ी को भोगना होगा।
संबंधित तस्वीर व अखबारों की कटिंग की छाया प्रति के साथ साथ आपके व अन्य संबंधित विभागो में किए गये पत्राचार की प्रति के साथ 22 पन्ना अनुलग्नक भी आवेदन में संलग्न किया गया है।

Share this Article