पटना:- बेरोजगारी को राजनीतिक विमर्श में स्थापित करने वाले राष्ट्रीय युवा नेता अनुपम और देश के सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा ने पटना स्थित गाँधी संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ‘बिहार गौरव दृष्टिपत्र’ जारी किया। इस रिपोर्ट के माध्यम से बिहार में रोजगार के अवसर और लोगों की आजीविका में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। देश के सर्वश्रेष्ठ श्रम अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा के नेतृत्व में तैयार की गयी 176 पृष्ठ की यह रिपोर्ट एक तरफ बिहार की आर्थिक सच्चाई को प्रदर्शित कर बेहद झकझोरने वाली है तो दूसरी तरफ उत्थान की राह भी दिखाती है।
बता दें कि गत वर्ष राष्ट्रीय युवा नेता अनुपम ने आंदोलन के नेताओं के साथ प्रदेशव्यापी ‘हल्ला बोल यात्रा’ किया था जिसमें आम बिहारियों की समस्याओं को लेकर व्यापक चर्चा हुई थी। साथ ही छात्रों, किसानों, मजदूरों, बुनकरों, व्यवसायियों, लेबर यूनियन के नेताओं समेत लाखों लोगों से संवाद किया गया। यात्रा के समापन पर रोजगार के क्षेत्र में बिहार को आगे की दिशा दिखाने के लिए कभी योजना आयोग में रह चुके प्रोफेसर मेहरोत्रा के नेतृत्व में आयोग का गठन हुआ।
मेहरोत्रा आयोग की रिपोर्ट को जारी करते हुए अनुपम ने कहा कि यह ‘बिहार गौरव दृष्टिपत्र’ है जो सरकार को स्पष्ट दिशा देती है। अगर इसपर सकारात्मक ढंग से काम किया जाए तो हम जल्द ही बिहार को बदलते देख सकते हैं। यह रिपोर्ट केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जीवन के अनुभवों और जमीनी हकीकतों की पृष्ठभूमि पर आधारित है। कहा जा सकता है कि यह रिपोर्ट मात्र एक अकादमिक कवायद नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर जनता के बीच काम करने वाले लोगों से भी जुड़ी है। अनुपम ने कहा कि बिहार देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से है जिसका गौरवशाली अतीत और संभावनाओं से भरा भविष्य है। आशा है कि मेहरोत्रा आयोग की यह रिपोर्ट बिहार के उत्थान में एक कारगर भूमिका निभाएगा।
रिपोर्ट के महत्वपूर्ण अंशों को रेखांकित करते हुए प्रोफेसर मेहरोत्रा ने कहा कि अगर बिहार में रोजगार के अवसर को बढ़ाना है और कम आय के जाल से निकालना है तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान देना सबसे जरूरी है। साथ ही, मध्यम लघु उद्योग को बढ़ावा देने पर आधारित व्यापक रणनीति बनाना भी आवश्यक है। महिलाओं की श्रम भागीदारी पर विशेष बल देते हुए प्रोफेसर मेहरोत्रा ने कहा कि बिना आधी आबादी की प्रगति के समाज आगे नहीं बढ़ सकता। ‘बिहार गौरव पत्र’ में ऐसे सुझाव हैं जिसके जरिए महिलाओं का योगदान और हिस्सेदारी बढ़ायी जा सकती है। अलग अलग क्षेत्रों के लिए उन्होंने अलग अलग अध्याय में स्पष्ट नीतिगत सुझाव दिए हैं। उत्तर बिहार में बागवानी और मत्स्य पालन को सुदृढ़ करने पर जोर देने की बात भी दृष्टिपत्र में कही गयी है।
साथ ही राज्य में रेशम, सूती वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, हथकरघा और हस्तशिल्प आदि के क्लस्टर बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं। इन संभावनाओं के साथ न्याय करने के लिए सभी क्लस्टरों में ऋण, प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और बाजार से जोड़ने की आवश्यकता है। प्रोफेसर मेहरोत्रा ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण, सूचना प्रद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और चमड़ा उद्योगों के साथ साथ मौजूदा चीनी और जूट मिलों को पुनर्जीवित करना होगा।
प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा ने विस्तृत ढंग से जन-आयोग की रिपोर्ट पर प्रस्तुति देने के बाद कहा कि लंबे समय से अनुपम के नेतृत्व में ‘युवा हल्ला बोल’ आंदोलन ने पूरे देश में रोज़गार और आजीविका को प्रमुखता से उठाया है। इस मुद्दे पर संघर्ष करते हुए प्रदेश से लेकर केंद्र की सरकारों के खिलाफ कई आंदोलन किया है। बिहार में भी रोज़गार का विमर्श खड़ा करने में अनुपम की बड़ी भूमिका रही है जिन्होंने पिछले चार साल से शिक्षक भर्ती से लेकर बिहार एसएससी, बीपीएससी समेत कई अन्य राज्यस्तरीय नौकरियों को लेकर सरकार पर दबाव बनाया है। रेल भर्ती आंदोलन में केंद्र सरकार को झुकाकर वाजिब मांग मनवाई तो अग्निपथ स्कीम का विरोध करने के कारण तिहाड़ जेल तक गए। खास बात यह रही है कि अनुपम सिर्फ संघर्ष तक सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि युवाओं की एक पौध में लगातार विचार निर्माण का भी काम करते रहे हैं। उन्होंने सिर्फ विरोध के लिए हल्लाबोल नहीं किया, बल्कि हर तरह के सामाजिक भेदभाव से मुक्त होकर समस्यायों का समाधान भी देते रहे हैं। हर आंदोलन में सकारात्मक भूमिका निभाने की उनकी प्रतिबद्धता ने ही इस जन-आयोग को जन्म दिया। खुशी की बात है कि आज ‘बिहार गौरव दृष्टिपत्र’ के रूप में यह जन-आयोग अपनी रिपोर्ट पेश कर रहा है।
मौके पर बोलते हुए ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय महासचिव प्रशांत कमल ने कहा कि कभी देश का गौरव रहे बिहार को आज सिर्फ लेबर सप्लायर के तौर पर जाना जाने लगा है। देश भर में आज ‘बिहारी’ शब्द मजदूर का पर्यायवाची बन गया है। एक तरफ जहाँ इस देश के निर्माण में हमारी अहम भूमिका है, वहीं दूसरी तरफ हमें हीन भावना से देखा जाता है। इसलिए आज बिहार के गौरव को पुनर्स्थापित करना सबसे ज़रूरी काम है। यह बड़ा काम बिहार के हर व्यक्ति को बेहतर आय और हर युवा को रोजगार देकर ही संभव है। यह महज एक अकादमिक रिपोर्ट नहीं बल्कि बिहार के खोए हुए गौरव को पुनः स्थापित करने का एक दृष्टिपत्र है। हम बिहार के गौरव को पुनः स्थापित करने के लिए संघर्ष करने को प्रतिबद्ध है। अनुपम के नेतृत्व में बिहार के युवा जाति धर्म और पार्टियों से ऊपर उठकर बेहतर समाज बनाने के संघर्ष में कूद रहे हैं।