तीन दिनों तक चलने वाला जीविका पुत्र या जितिया व्रत की शुरुआत
आज नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है यह व्रत संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने वाली महिलाएं भगवान जीमूतवाहन की पूजा अर्चना करती है।
इस व्रत से जुड़ी कुछ खास बातें और मान्यताएं इस प्रकार है आइए जानते है की क्या कुछ जीविका पुत्र की खास बातें और मान्यताएं हैं।
जीविका पुत्र जितिया हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है
यह व्रत तीन दिनों तक चलता है पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है इस दिन महिलाएं स्नान करने के बाद भोजन करती हैं। व्रत के दूसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है, जिसे खुर जितिया कहते हैं,इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं पानी नहीं पीती है और दिन भर उपवास रहकर शाम में पूजा अर्चना करती है।
व्रत का पारण तीसरे दिन होता है जिसे पारण कहते है और इस दिन व्रती महिला दिन का पहला भोजन करती हैं।
इस व्रत से जुड़ी एक कथा के मुताबिक गंधर्वराज जीमूतवाहन ने नाग जाति की रक्षा की थी इस वजह से उनका पूजन किया जाने लगा।इस व्रत को खास तौर पर बिहार झारखंड और उतर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है।
वहीं दूसरी तरफ इस व्रत को करने वाली महिलाएं अपने गले में पुत्र के नाम का एक बंधन भी धारण करती है।