सात समंदर पार से आए विदेशियों ने किया गया में पिंडदान

arun raj
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गया: विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2024 में देश-विदेश से तीर्थयात्री गयाजी आए हुए हैं, जो अपने पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर विभिन्न पिंड वेदियों पर पिंडदान कर्मकांड कर रहे हैं. इसी क्रम में आज फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट पर एक अलग नज़ारा देखने को मिला, जहां विश्व के विभिन्न देशों से आए लगभग 15 की संख्या में विदेशी मेहमानों ने पिंडदान कर्मकांड किया. इन्हें देखने को लेकर आसपास के लोगों की भीड़ लग गई. स्थानीय प्रशासन के द्वारा कड़ी सुरक्षा के बीच इन्हें पिंडदान कर्मकांड की प्रक्रिया को संपन्न कराया गया.


इस मौके पर स्थानीय पुरोहित लोकनाथ गौड़ ने बताया कि लगभग 15 की संख्या में विभिन्न देशों के मेहमान गयाजी पहुंचे हैं और देवघाट पर इन्होंने अपने पितरों कि मोक्ष प्राप्ति को लेकर पिंडदान कर्मकांड किया है. मुख्यतः ये लोग जर्मनी, कजाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, नाइजीरिया, घाना, यूक्रेन, रूस सहित अन्य देशों से आए हैं. उन्होंने कहा कि इन लोगों ने सनातन धर्म में विश्वास जताते हुए पिंडदान कर्मकांड किया है. कई लोगों ने अपने माता-पिता, तो कई ने पुत्र व पत्नी को लेकर पिंडदान कर्मकांड किया है. सनातन धर्म में इनका विश्वास बढ़ा है. यही वजह है कि सात समुंदर पार से आकर इन लोगों ने पितृपक्ष मेला के दौरान पिंडदान कर्मकांड किया है. इन्हें यह बताया गया है कि अगर ये धर्म की रक्षा करेंगे, तो धर्म इनकी रक्षा करेगा. पूरे धार्मिक अनुष्ठान के साथ पिंडदान कर्मकांड की प्रक्रिया को संपन्न कराया गया है.


वहीं नाइजीरिया देश से आए विदेशी मेहमान विष्णु ने बताया कि पिंडदान कर्मकांड करने को लेकर गया पहुंचे हैं. हमारे साथ और भी कई मित्र आए हुए हैं. गया के पिंडदान कर्मकांड के बारे में हमने सुना था. ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इसी सोच के साथ गया पहुंचे हैं. पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो, इसी कामना के साथ पूरे विधि विधान से पिंडदान की प्रक्रिया को संपन्न किया  है. ऐसा सुना था कि भगवान विष्णु ने गयासुर राक्षस के शरीर को अपने पैर से दबाया था, जिसके बाद यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष लोक की प्राप्ति होती है. वैदिक शास्त्र में विश्वास करते हुए हमलोग यहां पहुंचे हैं और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति को लेकर पिंडदान कर्मकांड किए हैं.

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