शिक्षा व्यवस्था को रसातल में पहुंचाने और शिक्षण संस्थाओं को आर एस एस के हवाले करने की साजिश

arun raj
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पटना:- राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने केन्द्र सरकार पर यूजीसी के माध्यम से देश की शिक्षा को रसातल में ले जाने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि केन्द्र की सरकार अप्रत्यक्ष रूप से उच्च शैक्षणिक संस्थानों को आर एस एस के हवाले करने की साजिश कर रही है।

राजद प्रवक्ता ने कहा है की यूजीसी का कुलपतियों एवं असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के संबंध में जो निर्णय सामने आया है वह निश्चित रूप से आश्चर्यजनक एवं शिक्षा को रसातल में ले जाने वाली है। यदि किसी  दूसरे विषय के व्यक्ति को दूसरे विषय में प्रोफेसर बनाया जाएगा या शिक्षा से बाहर के लोगों को कुलपति बनाया जाएगा तो शिक्षा की क्या स्थिति होगी यह सर्व विदित है। यूजीसी के इस अव्यवहारिक फैसले से शिक्षा का महत्व ही समाप्त हो जाएगा। क्या यह संभव है की लकड़ी का काम करने वाला कारीगर स्वर्णकार का काम कर सकता है इसलिए पहले से जो मान्य परंपरा है कि जिस विषय में व्यक्ति नीट  या पीएचडी करता है उस विषय का ही व्यक्ति उस विषय का प्रोफेसर होगा तभी शिक्षा का सही विस्तार होगा नहीं तो किसी दूसरे विषय में निपुण को दूसरे विषय में लगाया जाएगा तो वह क्या पढ़ाएगा।  


 श्री गगन ने सवाल करते हुए जानना चाहा है कि क्या इंजीनियर का डिग्री लिया हुआ व्यक्ति डॉक्टर का काम कर सकता है ? क्या मैथ का डिग्री लिया व्यक्ति विद्यार्थियों को इतिहास पढ़ा सकता है ? यदि  नहीं तो यूजीसी यही करने जा रही है। यूजीसी के इस फैसले से निश्चित रूप से केन्द्र की भाजपा सरकार देश की जनता और शिक्षा  के साथ छलावा कर रही है ।
 राजद प्रवक्ता ने कहा कि यह सारी कवायद लोगों को शिक्षा से वंचित करने और आर एस एस के लोगों को नाजायज तरीके से शिक्षण संस्थाओं में घुसाने के लिए हो रही है।
राजद प्रवक्ता ने केन्द्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करे और अविलंब हस्तक्षेप कर यूजीसी को इसअव्यवहारिक फैसले को वापस लेने का निर्देश दे अन्यथा इसके परिणाम काफी भयावह होंगे।
     

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