पटना :- जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता श्री राजीव रंजन ने आज कहा है कि भाजपा शासित मध्यप्रदेश द्वारा सरकारी नौकरियों में बिहार की तर्ज पर महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय देर से ही दिया गया सही फैसला है. केंद्र सरकार द्वारा महिला आरक्षण बिल पास करने के बाद यह लगातार दूसरा मौका है जब महिला सशक्तिकरण के लिए भाजपा को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की नीतियों को अपनाने पर मजबूर होना पड़ा है. दरअसल महिलाओं के हित में सीएम श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने जो ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं वह पूरे देश के समक्ष एक मिसाल है. सब जानते हैं कि नीतीश की नीतियों को अपनाये बिना महिला सशक्तिकरण का संकल्प कभी भी पूरा नहीं हो सकता है.
उन्होंने कहा कि गौरतलब हो कि श्री नीतीश कुमार के कारण बिहार देश का ऐसा पहला राज्य बना, जहां महिलाओं को सरकारी नौकरी में सशक्त हिस्सेदारी दिलाने के लिए 35 फीसदी का आरक्षण प्रावधान किया गया. यही नहीं सरकार महिलाओं के लिए शिक्षा विभाग की नौकरियों में 50 प्रतिशत तक आरक्षण का प्रावधान भी कर चुकी है. वहीं सरकारी दफ्तरों में पोस्टिंग में भी महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. इसी के परिणाम स्वरूप आज राज्य में करीब 2 लाख से अधिक महिलाएं शिक्षक के रूप में काम कर रही हैं, वहीं 29,175 महिलाएं पुलिस विभाग में तैनात हैं. गौरतलब हो कि महिला पुलिस की यह संख्या देश के किसी भी राज्य से ज्यादा है.
जदयू महासचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ही थी जिसने 2005 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद महिलाओं की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा जताते हुए 2006 में ही उन्हें पंचायत व नगर निकाय चुनावों में 50ः आरक्षण का अधिकार दे दिया था. बिहार उस समय भी ऐसा कदम उठाने वाला देश का पहला राज्य था. तब से लेकर आज तक बिहार सरकार ने महिलाओं की शिक्षा से लेकर रोजगार तक के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाये हैं जिन्होंने उनका जीवन बदल दिया है. ग्रामीण महिलाओं के स्वावलंबन के लिए बिहार में चलायी वाली जीविका योजना को आज केंद्र सरकार पूरे देश में आजीविका के नाम से चला रही है. बिहार में इस योजना के तहत अभी तक कुल 10.45 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है, वहीं एक करोड़ 30 लाख परिवारों की महिलाओं को इन समूहों से जोड़ा जा चुका है.
उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि बिहार जो आज करता है, कल पूरा देश उसे अपनाता है. भले ही अपने राजनीतिक स्वार्थों के कारण भाजपा के नेता बिहार के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहे, लेकिन अंदर से उन्हें भी पता है कि महिलाओं के उत्थान व सशक्तिकरण के लिए बिहार सरकार के दिखाए मार्ग पर उन्हें चले बिना कोई चारा नहीं है।