दिल्ली/पटना :- जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने स्मार्ट मीटर के विरोध में राजद एवं कांग्रेस के दुष्प्रचार को राज्य को लालटेन युग में धकेलने की कुचेष्टा बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के कालजयी नेतृत्व में बिहार संपूर्ण कायाकल्प की राह पर अग्रसर है, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।यह बात गैर जिम्मेदार विपक्ष को पच नहीं नहीं रही है।
पिछले सितंबर माह में बिजली खपत का 80005 मेगावाट तक दर्ज हुई है। यह न केवल बिहार के बढ़ते बुनियादी ढांचे को प्रमाणित करता है, बल्कि यह यह सुनिश्चित करने के लिए तेजी से उठाए जा रहे कदमों को भी दर्शाता है कि प्रत्येक घर एवं औद्योगिक इकाई को बिजली मिले, जिससे विकास और समृद्धि के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता मजबूत होती है।
राज्य में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क के विस्तार और मजबूती पर अथक प्रयास हो रहा है।
2005 में अधिकतम मांग 700 मेगावाट थी जो अब बढ़कर 8,005 मेगावाट हो गई है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शिता का परिणाम है कि
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिहार सरकार अधिक सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करा रही है। सरकार इस वर्ष सब्सिडी के रूप में ₹15,343 करोड़ खर्च कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपभोक्ताओं को कम कीमत पर बिजली मिले, जिससे मांग में लगातार वृद्धि हुई है।
2005 में बिहार में लगभग 17 लाख बिजली उपभोक्ता थे। आज यह संख्या 2करोड़ 70 लाख से अधिक हो गई है। प्रति व्यक्ति बिजली की खपत, जो 2005 में 70 यूनिट थी, अब बढ़कर 360 यूनिट हो गई है।
उपभोक्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि और पर्याप्त बिजली आपूर्ति के परिणामस्वरूप पीक डिमांड में वृद्धि हुई है। इस अवधि के दौरान, कृषि फीडरों की संख्या भी 29 से बढ़कर 935 हो गई।
बिजली सबस्टेशनों की संख्या 368 से बढ़कर 1,250 हो गई है और 33/11 केवी लाइनों की लंबाई तीन गुना बढ़ गई है। ग्रिड सबस्टेशनों की संख्या 2005 में 45 से बढ़कर आज 168 हो गई है। ट्रांसमिशन लाइनों के विस्तार में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसकी कुल लंबाई 5,000 सर्किट किमी से बढ़कर 20,328 सर्किट किमी हो गई है। ट्रांसमिशन सिस्टम की बिजली निकासी क्षमता 1,000 मेगावाट से बढ़कर 14,776 मेगावाट हो गई है। अब ऊर्जा विभाग अक्षय ऊर्जा में लगातार प्रगति कर रहा है और राज्य वर्तमान में 1,000 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहा है।
बिजली क्षेत्र में किए गए इन सुधारों ने न केवल बिहार को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया है, बल्कि औद्योगिक विकास के साथ-साथ कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में भी प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।