लालू राबड़ी राज में कितने कारखाने खुले, बताएं तेजस्वी- राजीव रंजन

arun raj
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पटना:- अपने एक्स हैंडल के माध्यम से  तेजस्वी यादव को घेरते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजीव रंजन ने आज अपने पोस्ट में लिखा कि बेरोजगारी पर घड़ियाली आंसू बहा रहे तेजस्वी को जानना चाहिए कि एनडीए सरकार ने जितने रोजगार सृजन के लिए जितने काम किए हैं, राजद-कांग्रेस की सरकार में उसका चौथाई काम भी नहीं हुआ था। देश में रोजगार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने केवल मुद्रा योजना के तहत ही 46.९२ करोड़ से अधिक लोगों को ऋण दिया है। इस सरकार के दौरान लगभग हर महीने औसतन 10 से 15 लाख लोग इपीएफओ पर रजिस्टर्ड हुए हैं। 1.77 करोड़ से अधिक किसान ई-नाम के माध्यम अपने उत्पाद बेच रहे हैं। वहीं स्टार्ट अप इंडिया के तहत 1.23 लाख से अधिक स्टार्ट अप स्वीकृत हुए हैं जिनसे लाखों लोगों को नौकरी मिल रही है।

उन्होंने लिखा कि बिहार की बात करें तो मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के निश्चयों के तहत 10 लाख सरकारी नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का काम तेजी से चल रहा है। इनमें से 3 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां पहले ही दी जा चुकी हैं और बाकी के लिए अगले साल तक का लक्ष्य रखा गया है। वहीं एनडीए सरकार द्वारा भी बीते कुछ वर्षों में 9 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां दी जा चुकी है। इसी तरह बिहार सरकार की लघु उद्यमी योजना के तहत राज्य के 94 लाख से अधिक परिवारों को स्वरोजगार के लिए 2-2 लाख रु की राशि प्रदान की जा रही है। वहीं जीविका के तहत बने 10 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों के जरिये 1 करोड़ से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।    

जदयू प्रवक्ता ने लिखा कि वास्तव में अपने कुशासन से बिहार की एक पूरी पीढ़ी के भविष्य का भट्ठा बना देने वाले राजद के युवराज के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि उन्हें पढाई से एलर्जी है। उन्हें न तो तथ्यों का पता रहता है और न ही सच्चाई का, लेकिन जो उनके सलाहकार उन्हें लिख कर दे देते हैं उसे वह बिना सोचे समझे बोल देते हैं।

तेजस्वी से सवाल पूछते हुए उन्होंने लिखा कि युवाओं के लिए घड़ियाली आंसू बहाने की बजाए उन्हें बताना चाहिए कि उनके माता-पिता के राज में कितने लोगों को सरकारी नौकरी दी गयी? उनके राज में कितने कारखाने खुले और कितने बंद हुए थे? उन्हें बताना चाहिए कि उनके समय बिहार के युवाओं को सामूहिक पलायन के लिए किसने मजबूर किया था? किसानों की खड़ी फसलें क्यों जला दी जाती थी? स्कूलों में पढाई क्यों नहीं होती थी? हमें पूरा यकीन है कि तेजस्वी इनका जवाब नहीं देंगे।

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