परिवारवादियों को भी आ रही है लोकतंत्र की यादः राजीव रंजन

arun raj
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पटना:- राजद पर पलटवार करते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि सत्ता के रहते हुए जनता, संविधान और लोकतंत्र का मजाक उड़ा कर रख देने वाले परिवारवादियों को लोकतंत्र की दुहाई देते देखना हास्यास्पद है। इन्हें लगता है कि लोकतंत्र की माला जपने इनके प्रमुख परिवारों का भला हो जाएगा और इनके युवराज सत्ता में सेट हो जायेंगे। उन्हें जानना चाहिए कि अब जनता जागरूक हो चुकी है। उन्हें अच्छे से पता है कि परिवारवादियों के लिए लोकतंत्र वह झुनझुना है जिसे बजा कर वह आज तक अपना उल्लू सीधा करते आये हैं।

जदयू प्रवक्ता ने कहा कि लोकतंत्र के खतरे में होने का दावा करने वाले इन परिवारवादियों ने इमरजेंसी का दौर भी देखा है। उस समय सरकार के खिलाफ आंदोलन करना तो दूर बोलने तक की मनाही थी। खुद राजद प्रमुख लालू यादव खुद इन्हीं वजहों से जेल जाना पड़ा था. लेकिन आज यह लोग न केवल प्रधानमन्त्री व मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर अपशब्दों का प्रयोग करते हैं बल्कि सरकार पर सीना ठोक कर झूठे आरोप भी लगाते हैं। इनके नेताओं को बताना चाहिए कि यदि देश में तानाशाही है तो वह इतनी आजादी से ऐसे अमर्यादित काम कर पाते? हकीकत में इनके नेताओं की निगाह में लोकतंत्र तभी सुरक्षित रह सकता है जब देश की बागडोर इनके प्रमुख खानदान के हाथों में हो और उन्हें जमीन के बदले नौकरी देने और अन्य भ्रष्टाचार करने की आजादी मिले।  

उन्होंने कहा कि वास्तव में इन लोगों को तो लोकतंत्र जैसे पवित्र शब्द का नाम लेने तक अधिकार तक नहीं है. यदि उनकी लोकतंत्र में आस्था रहती तो सबसे पहले यह लोग अपने से कहीं छोटे युवराजों की पालकी उठाने से मना कर देते और अपनी पार्टियों से परिवारवाद को उखाड़ फेकते। लेकिन जितनी प्रतिबद्धिता से यह लोग परिवार की परिक्रमा करने में अपना सम्मान ढूंढते हैं उससे साफ़ पता चलता है कि इनमें गुलामी मानसिकता कूट-कूट कर भरी है और गुलाम कभी भी लोकतंत्र के रक्षक नहीं हो सकते हैं।

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