सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भाजपा के महिला विरोधी चेहरे को फिर से किया उजागरः राजीव रंजन

arun raj
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पटना:- भाजपा को महिला विरोधी राजनीति का सूरमा बताते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता श्री राजीव रंजन ने आज कहा है कि महिलाओं का दमन करने और अपने राजनीतिक फायदे के लिए भाजपा कितनी निचले स्तर तक गिर सकती है यह बिलकिस बानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये निर्णय से पता चलता है। गौरतलब हो कि साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गर्भवती बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनकी तीन साल की बच्ची समेत कम से कम 14 परिजनों की हत्या कर दी गयी थी। लेकिन बीते साल अपनी क्षमा नीति को ढाल बनाते हुए गुजरात की भाजपा सरकार ने इस जघन्य काण्ड के सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। बाद में उन सभी को मिठाई खिलाकर और माला पहना कर स्वागत भी किया गया था, जो बलात्कार पीड़ित सभी महिलाओं के जले पर नमक छिडकने के समान था।

उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि गुजरात की भाजपा सरकार को इस काण्ड के आरोपियों को छोड़ने का अधिकार ही नहीं है और सभी आरोपियों को एक बार फिर से सरेंडर करना होगा। यह दिखाता है कि भाजपा की सरकार अपने समर्थक आरोपियों को बचाने के लिए न्याय का किस तरह से कत्ल कर रही थी।

जदयू महासचिव ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जिसने भाजपा की घृणित और दूषित महिला-विरोधी चेहरे को उजागर किया हो। याद करें तो इन्ही लोगों के राज में मणिपुर में महिलाओं की इज्जत के साथ खुलेआम हुए खिलवाड़ ने बीते दिनों देश का माथा शर्म से झुका दिया था। वहां महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा था और इनकी सरकार चुपचाप देख रही थी। आज भी उन्हें इंसाफ नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह अभी हाल ही में बीएचयू बलात्कार काण्ड के आरोपियों के भाजपा पदाधिकारी निकलने पर भी इनकी सरकार इसी तरह हाथ पर हाथ धरे बैठे रही थी। यह भाजपा की महिला विरोधी मानसिकता वाले लोगों को संरक्षण देने का ही परिणाम था कि इस मामले के दोषी मध्यप्रदेश चुनाव में पार्टी का प्रचार करते रहें और पुलिस लीपापोती करती रही।

जदयू महासचिव ने कहा कि भाजपा द्वारा अपराधी मानसिकता के लोगों का मनोबल बढाने के कारण ही देश की नामचीन महिला खिलाड़ियों को यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। उन्हें एक केस दर्ज करवाने के लिए भी धरने पर बैठना पड़ा वहीं इस मामले के आरोपी भाजपा के बाहुबली नेता आज भी छुट्टा घूम रहे हैं। यह दिखाता है कि इनकी निगाह में महिलाओं की कोई अहमियत नहीं है।

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