arun raj
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पटना:- बिहार ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के कार्यकाल के 19 वर्षों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हासिल किया है बड़ा मुक़ाम। 2005 के पूर्व चरवाहा विद्यालयों एवं फटेहाल शिक्षा व्यवस्था के लिए जाना जाता था बिहार।
उसी बिहार ने उच्च शिक्षा पर खर्च करने के मामले में बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। यही नहीं मेघालय व मणिपुर जैसे छोटे राज्यों को छोड़ दें तो उच्च शिक्षा के विकास पर खर्च करने में बिहार देश में अव्वल रहा है। कुछ महीने पहले केन्द्र सरकार द्वारा जारी आॅडिट रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है। केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले राज्यों की सूची भी जारी की है। इसमें उन राज्यों के नाम हैं, जिन्होंने अपने यहां जीएसडीपी बजट का 1.75 प्रतिशत से अधिक खर्च किया है। केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों राज्यों से खर्च का ब्योरा तलब किया था।

केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार ने उच्च शिक्षा पर अपने जीएसडीपी का 2.17 फीसदी खर्च किया है। बिहार में 8 राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, 4 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 20 राज्य विश्वविद्यालय, 7 निजी विश्वविद्यालय, 1 डीम्ड विश्वविद्यालय और 4 केंद्रीय वित्तपोषित प्रतिष्ठित संस्थान हैं। जिसमें आईआईटी पटना, आईआईएम बोधगया, एम्स, पटना, एनआईटी पटना, आईआईआईटी भागलपुर, एनआईपीईआर हाजीपुर एवं राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, चन्द्रगुप्त प्रबंधन संस्थान के साथ ही चार केंद्रीय विश्वविद्यालयों जिसमें दक्षिण बिहार का केंद्रीय विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, डाॅ0 राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और नालंदा विश्वविद्यालय शामिल हैं, ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया है। इसके साथ ही दरभंगा एम्स बनने जा रहा है। पीएमसीएच विश्वस्तरीय काॅलेज एवं अस्पताल बनने के करीब है। वहीं दरभंगा मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल की क्षमता बढ़ाने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है।
      राज्य में बड़ी संख्या में पूर्व में संचालित मेडिकल एवं इंजीनियरिंग काॅलेजेज के अतिरिक्त बड़ी संख्या में नये अभियंत्रण एवं मेडिकल काॅलेज खुलने की प्रक्रिया में हैं।

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