सीतामढ़ी जिला के महसोल ओपी क्षेत्र से 6 बच्चों को बाल श्रम से कराया मुक्त

kushmediaadmin
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सीतामढ़ी से अमित कुमार :- श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव एवं जिला पधाधिकारी सीतामढ़ी के द्वारा मिले निर्देशानुसार श्रम अधीक्षक सीतामढ़ी सुबोध कुमार के निर्देश पर धावा दल, बचपन बचाओ आंदोलन एवं पुलिस के सहयोग से डुमरा प्रखंड के मेहसौल ओपी क्षेत्र के अलग अलग प्रतिष्ठान से छः बच्चों को बाल श्रम से विमुक्त करवाया गया। श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार ने बताया कि बाल श्रम के विरुद्ध लगातार आम जनमानस के बीच जन जागरूकता और समाज के प्रत्येक वर्ग पर बाल श्रमिकों के विरुद्ध जन जागरूकता के लिए सघन निरीक्षण कार्यक्रम और प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इसी दौरान बाल श्रमिकों की विमुक्ति हेतु मेहसौल ओपी क्षेत्र के विभिन्न दुकानों, मोटर गैरेज एवं प्रतिष्ठानों में धावा दल , बचपन बचाओ आंदोलन एवं पुलिस की टीम के द्वारा सघन जाँच अभियान चलाया गया .जाँच के क्रम में छः बाल श्रमिक को विमुक्त कराया गया. साथ ही बच्चों से बाल श्रम करवाने वाले नियोजक के विरुद्ध नियमानुसार प्राथमिकी दर्ज डुमरा श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी चंद्र नाथ राम के आवेदन पर किया जा रहा हैं। उक्त रेस्क्यू टीम में श्रम परवर्तन पदाधिकारी प्रदीप कुमार, चंद्रनाथ राम, आदित्य कुमार चौधरी, सुरेश कुमार, बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधि मुकुंद कुमार चौधरी, प्रथम संस्था के कार्यक्रता वीरेंद्र कुमार , प्रयास से अब्दुल मालिक खान शामिल थे।

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विमुक्त बाल श्रमिक को बाल कल्याण समिति सीतामढ़ी के समक्ष उपस्थापित कर निर्देशानुसार उन्हें बाल गृह में रखा गया है. बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के तहत नियोजक के विरुद्ध संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है. श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार ने बताया कि बाल श्रमिकों से किसी भी दुकान या प्रतिष्ठान में कार्य कराना बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के अंतर्गत गैरकानूनी है तथा बाल श्रमिकों से कार्य कराने वाले व्यक्तियों को 20 हजार रुपये से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना और 2 वर्षों तक के कारावास का प्रावधान है. इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा एम सी मेहता बनाम तमिलनाडु सरकार 1996 में दिए गए आदेश के आलोक में नियोजकों से 20 हजार रुपये प्रति बाल श्रमिक की दर से अलग से राशि की वसूली की जाएगी. इस राशि को जमा नहीं कराने वाले नियोजक के विरुद्ध एक सर्टिफिकेट केस या नीलाम पत्र वाद अलग से दायर किया जाएगा.

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